Ab bhaarat mein hi banegi mobile phone ki battery, kayi logo ko milega rojagaar। स्मार्टफोन, लैपटॉप, कार और कई डिवाइस में इस्तेमाल होने वाली लिथियम-ऑयन बैटरी अब भारत में ही बनाई जाएगी। इसके लिए भारत सरकार, इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन और मुनोथ इंडस्ट्रीज आंध्र प्रदेश के तिरुपति शहर में पहला मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगा रही है।
1700 लोगों को मिलेगा रोजगार
बुधवार को मुनोथ इंडस्ट्रीज ने लिथियम-ऑयन मैन्युफेक्चरिंग प्लांट लगाने की घोषणा करते हुए कहा कि भारतीय मोबाइल इंडस्ट्रीज के लिए यह प्लांट संजीवनी का काम करेगी। इस प्लांट को 799 रुपये में तीन फेज में सेट-अप किया जाएगा। इस प्लांट के शुरू होने के बाद करीब 1,700 लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
मोबाइल होंगे सस्ते
जागरण से बात करते हुए भारतीय सेल्युलर एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज मोहिन्द्रू ने कहा कि इस प्लांट के शुरू होने से मोबाइल फोन की कीमतों में कमी आ सकती है। भारत में फिलहाल जितनी भी कंपनियां मोबाइल असेंबल करती हैं, वह बाहर से बैटरी मंगाती है। इस वजह से उसपर लागत ज्यादा आता है। देश में लिथियम-ऑयन बैटरी के असेंबलिंग और पैकेजिंग यूनिट्स बड़ी तादाद में मौजूद हैं, लेकिन एक भी बैटरी मैन्युफेक्चरिंग यूनिट नहीं है। यह प्लांट देश का पहला कोर-कॉम्पोनेंट प्लांट होगा।
मेक इन इंडिया कार्यक्रम का हिस्सा
मोहिन्द्रू ने आगे कहा कि इस प्लांट को भारत सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत लगाया जा रहा है, भारत सरकार की इसमें 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी। इस प्लांट के लग जाने से केवल मोबाइल इंडस्ट्रीज को ही फायदा नहीं मिलेगा, यह प्लांट हेल्थ सेक्टर और ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए भी फायदेमंद होगा।
हेल्थ और ऑटो सेक्टर को भी होगा लाभ
हेल्थ सेक्टर में इस्तेमाल होने वाले कई आधुनिक उपकरणों में लिथियम ऑयन बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा आने वाले सालों में भारत में बैटरी से चलने वाली गाड़ियों में भी इजाफा देखने को मिलेगा। अमेरिकी मोटर कंपनी टेस्ला लिथियम बैटरी से चलने वाली पावरफुल कार बनाती हैं।
देश में इस समय हर साल मोबाइल फोन में 400 से 500 मिलियन लिथियम बैटरी का उपयोग होता है, जबकि 100 मिलियन से ऊपर बैटरी का इस्तेमाल पावर बैंक के लिए किया जाता है। भारत में मोबाइल फोन के करीब 100 करोड़ उपभोक्ता हैं।
आंध्र प्रदेश सरकार ने दिया 30 एकड़ जमीन
मुनोथ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन जसवंत मुनोथ ने कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार ने प्लांट लगाने के लिए करीब 30 एकड़ जमीन आंध्र प्रदेश इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रकचर कॉर्पोरेशन के तहत प्रदान किया है। विकास मुनोथ ने जागरण से बात करते हुए कहा कि सरकार इसके लिए सब्सिडी भी प्रदान कर रही है।
मैन्युफेक्चरिंग युनिट उत्तर भारत में लगाने के सवाल पर विकास ने कहा कि फिलहाल कंपनी का पूरा ध्यान दक्षिण भारत के तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में है और वहां की सरकार इसमें सहयोग भी कर रही है। भविष्य में उत्तर भारत में प्लांट लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से बातचीत की जा सकती है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव अजय प्रकाश साहनी ने जागरण से बात करते हुए कहा कि भारत में फिलहाल लिथियम-ऑयन बैटरी को इंपोर्ट करके असेंबल किया जा रहा है। हम देश में पहला मैन्युफेक्चरिंग प्लांट लगाकर इसकी शुरुआत करेंगे।
ई-वेस्ट के लिए सरकार उठाएगी सार्थक कदम
वहीं लिथियम बैटरी से निकले वाले ई-वेस्ट से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के बारे में उन्होंने भारत सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि सरकार इसके लिए नई पॉलिसी जल्द बनाएगी। फिलहाल उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और कर्नाटक के बेंगलुरू में ई-वेस्ट के निस्तारण के लिए केंद्र बनाया गया है। भविष्य में पॉलिसी बन जाने के बाद सरकार इस दिशा में सार्थक कदम उठाएगी।