whatsapp pay ke liye karna hoga aur intezaar, RBI nein diya suraksha ka havaala। व्हॉट्सएप ने कुछ महीने पहले ही पेमेंट सेवा Whatsapp Pay शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक इसका टेस्टिंग दौर ही चल रहा है। कंपनी ने इसे अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो कंपनी इस सेवा को फेसबुक और कैम्ब्रिज ऐनालिटिका के डाटा लीक विवाद के कारणों से लॉन्च नहीं कर रही है।
रिजर्व बैंक से नहीं मिली हरी झंडी
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक Whatsapp Pay इसी सप्ताह रोल आउट होने वाली थी, लेकिन कंपनी को भारतीय रिजर्व बैंक से हरी झंडी मिलनी बांकी है। पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा ने भी Whatsapp Pay पर सवाल खड़ा किया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने Whatsapp Pay के बीटा वर्जन की टेस्टिंग के लिए केवल 1 मिलियन यूजर्स की परमिशन दी है, जो कि भारत में व्हॉट्सएप के कुल यूजर्स का केवल आधा प्रतिशत है।
डाटा लोकेलाइजेशन बड़ी समस्या
दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक ने व्हॉट्सएप की पेरेंट कंपनी फेसबुक को भारत में ही डाटा स्टोर करने के लिए सर्वर बनाने को कहा है। रिजर्व बैंक नें फेसबुक को यह आदेश कैंब्रिज ऐनालिटिका विवाद के बाद जारी किया था। गूगल तेज और फोन पे जैसे पेमेंटिंग एप अपने यूजर्स को अतिरिक्त सुरक्षा देने के लिए स्क्रीन लॉक का इस्तेमाल करते हैं, जबकि Whatsapp Pay के लिए ऐसा कोई फीचर मौजूद नहीं है। सुरक्षा कारणों की वजह से ही व्हॉट्सएप के डाटा स्टोरेज नार्मस पर सवाल उठते रहे हैं। रिजर्व बैंक ने साफ जाहिर है कि इन पेमेंट सेवा प्रदाता कंपनियों को फाइनेनशियल डाटा को भारत में ही स्टोर करना होगा।
अन्य पेमेंटिंग एप्स के लिए चुनौती
हांलाकि व्हॉट्सएप ने इन समस्यायों के समाधान के लिए कुछ सार्थक कदम उठाएं हैं, जैसे कि भारत क्यूआर के अलावा यूपीआई एप्स को Whatsapp Pay के साथ जोड़ा गया है। व्हॉट्सएप अगर रिजर्व बैंक के सभी नार्मस मान लेती है और अपना पेमेंटिंग एप रोलआउट कर देती है तो पेटीएम समेत अन्य पेमेंटिंग एप के लिए समस्या खड़ी हो सकती है। आपको बता दें कि व्हाट्सएप के पास 200 मिलियन से ज्यादा यूजर्स हैं जो गूगल तेज, पेटीएम, फोन-पे के कुल यूजर्स से कहीं ज्यादा है।